अंबाला की साइंस इंडस्ट्री पर मंडराया संकट, जीएसटी दरों में राहत की मांग

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अंबाला की साइंस इंडस्ट्री जीएसटी की ऊंची दरों के कारण मुश्किल में है। ऑर्डर में 10% की गिरावट, और ग्राहकों का बढ़ता असंतोष कारोबारियों के लिए चिंता का विषय बन चुका है।

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अंबाला: साइंस इंडस्ट्री पर संकट गहराया, जीएसटी दरें बनीं बड़ी बाधा

अंबाला, 15 मई – अंबाला की प्रसिद्ध साइंस इंडस्ट्री को लगातार आर्थिक झटकों का सामना करना पड़ रहा है। पहले ग्लासवेयर उत्पादों पर सरकारी नियमों में बदलाव हुआ, और अब 18 प्रतिशत तक की उच्चतम जीएसटी दरों ने कारोबारियों की मांग पर गहरी चोट की है।

साइंस उत्पादों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार करीब 10 प्रतिशत ऑर्डर कम हुए हैं, जिससे उद्योग से जुड़े व्यापारी गहरी चिंता में हैं।

सरकार से बार-बार गुहार, मगर कोई हल नहीं
साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के महासचिव गौरव सोनी के मुताबिक, संगठन ने अब तक कम से कम 10 बार सरकार के अलग-अलग प्रतिनिधियों व मंचों के सामने अपनी मांग रखी है, लेकिन कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।

हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात हुई, लेकिन फिर भी कोई समाधान नहीं निकल सका। कारोबारियों की मुख्य मांग है कि साइंस उत्पादों पर जीएसटी दर को कम कर 5 प्रतिशत किया जाए। यदि यह संभव न हो तो 12 प्रतिशत की दर स्वीकार्य है। लेकिन 18 प्रतिशत जीएसटी से ग्राहक कतराते हैं, जिससे बिना बिल के लेन-देन जैसे मामले भी सामने आने लगे हैं।

उच्च जीएसटी के चलते शिक्षण संस्थानों ने घटाई खरीद
अंबाला की साइंस इंडस्ट्री खासकर प्रयोगशालाओं व शिक्षण संस्थानों में उपयोग होने वाले वैज्ञानिक उपकरण, ग्लासवेयर और अन्य उत्पाद तैयार करती है। लेकिन उच्च जीएसटी के चलते अब संस्थान भी सीमित मात्रा में खरीददारी कर रहे हैं।
पूर्व में जहां संस्थान साल में तीन बार उत्पाद खरीदते थे, अब वे एक बार में ही काम चला रहे हैं। इससे उद्योग में ऑर्डर की आवृत्ति घट गई है और उत्पादन पर असर पड़ रहा है।

गौरव सोनी ने यह भी कहा, “ग्राहक 100 रुपये के उत्पाद पर 18 रुपये टैक्स नहीं देना चाहते। जब तक टैक्स की दरें यथार्थवादी नहीं बनतीं, तब तक ये उद्योग संकट में ही रहेगा।”

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