चीन का पाक समर्थक खेल हुआ उल्टा, ट्रंप के दांव से फैक्ट्रियां बंद, भारत की ओर बढ़ते कदम!

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अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए 145% तक के आयात शुल्कों के कारण चीनी विनिर्माण उद्योग में गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।

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अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए गए 145% तक के आयात शुल्कों के कारण चीनी विनिर्माण उद्योग में गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। अमेरिकी कंपनियों द्वारा चीनी उत्पादों की मांग में भारी गिरावट आई है, जिसके परिणामस्वरूप चीन की कई फैक्ट्रियों में उत्पादन रुक गया है और कर्मचारियों की छंटनी हो रही है। उदाहरण के लिए, गुआंगझोउ के पानयू जिले की कई गारमेंट फैक्ट्रियाँ, जो Shein जैसी कंपनियों को आपूर्ति करती थीं, अब बंद हो गई हैं। इसके अलावा, डोंगगुआन और शेनझेन जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में भी उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है।

अमेरिकी कंपनियाँ अब भारत, वियतनाम और मलेशिया जैसे देशों में उत्पादन स्थानांतरित करने पर विचार कर रही हैं। इस संकट का एक प्रमुख उदाहरण Apple है, जिसने 2026 के अंत तक सभी अमेरिकी iPhone असेंबली चीन से भारत में स्थानांतरित करने की योजना बनाई है। इसके अलावा, अन्य अमेरिकी कंपनियाँ भी भारत में अपने उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए निवेश कर रही हैं। भारत सरकार ने चीन की कंपनियों को निवेश की अनुमति देने से इनकार कर दिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अब चीन के बजाय अमेरिका के साथ अपने आर्थिक संबंधों को प्राथमिकता दे रहा है।

इस स्थिति में, चीन के लिए यह चुनौतीपूर्ण है कि वह अपने निर्यात बाजारों को विविधतापूर्ण बनाए, जबकि भारत के लिए यह एक अवसर है कि वह वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में अपनी स्थिति को मजबूत करे। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत अपनी उत्पादन क्षमता और बुनियादी ढांचे में सुधार करता है, तो वह चीन से स्थानांतरित हो रहे वैश्विक निवेशों को आकर्षित कर सकता है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को पुनः आकार देने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है, और भारत इस परिवर्तन का लाभ उठाने के लिए तैयार है।

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