एचएसजीएमसी के पहले स्थायी प्रधान बने जगदीश सिंह झींडा, चयन पर उठा विवाद
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (एचएसजीएमसी) के पहले स्थायी प्रधान के रूप में जगदीश सिंह झींडा को सर्वसम्मति से चुना गया। हालांकि, उनके चयन को लेकर सिख नेताओं के एक गुट ने गंभीर आपत्ति जताई है।

कुरुक्षेत्र:
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (एचएसजीएमसी) के पहले स्थायी प्रधान के रूप में जगदीश सिंह झींडा का चयन हुआ है। यह ऐतिहासिक निर्णय गुरुद्वारा छठी पातशाही, कुरुक्षेत्र में आयोजित एक बैठक में लिया गया, जिसमें कमेटी के 49 सदस्यों ने सर्वसम्मति से उन्हें प्रधान चुना। साथ ही 9 सह-नामांकित सदस्य कार्यकारिणी में शामिल किए गए।
🗳️ 19 जनवरी के चुनाव में निर्दलीयों का दबदबा
- कुल 40 सीटों में से:
- 22 सीटों पर निर्दलीयों ने जीत दर्ज की
- झींडा के पंथक दल को 9 सीटें
- हरियाणा सिख पंथक दल (एचएसपीडी) को 6 सीटें
- दीदार सिंह नलवी की सिख समाज संस्था को 3 सीटें
पूर्व तदर्थ प्रधान बलजीत सिंह दादूवाल को कलांवाली सीट से 1,771 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
🗣️ झींडा की प्राथमिकताएं और बयान
प्रधान चुने जाने के बाद झींडा ने गुरुद्वारे में अरदास की और कहा:
“हमारी प्राथमिकता गुरुद्वारों का पारदर्शी प्रबंधन, ऐतिहासिक गुरुद्वारों का संरक्षण और सिख शिक्षा व संस्कृति का विस्तार है।”
⚠️ झींडा के चयन पर उठा विवाद
सिख नेताओं उत्तराधिकार सिंह नवी, बलदेव सिंह कैम्पुरा, प्रकाश सिंह साहुवाला समेत 20 सदस्यों ने झींडा की नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया। उनका आरोप है कि:
“अस्थाई अध्यक्ष सरदार जोग सिंह को एक फोन कॉल के बाद बिना चुनाव के झींडा को जबरन प्रधान बना दिया गया।”
इसे उन्होंने “लोकतंत्र की हत्या” कहा।
🛕 बैठक से पहले झींडा ने की अरदास
बैठक से पूर्व झींडा अपने समर्थकों के साथ गुरुद्वारे पहुंचे, माथा टेका और अरदास की। उन्होंने यह भी कहा था:
“हम सभी गुटों के बीच सहमति बनाकर प्रधान चुनने की कोशिश करेंगे, अगर सहमति न बन पाई तो चुनाव कराया जाएगा।”
🔚 निष्कर्ष:
एचएसजीएमसी में पहली बार स्थायी नेतृत्व की स्थापना हुई है, लेकिन झींडा के चयन के साथ ही विवाद भी खड़ा हो गया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह नेतृत्व सिख समाज की उम्मीदों पर खरा उतर पाएगा या विरोध और गहराएगा।