पहलागाम आतंकी हमले में मारे गए पर्यटकों को शहीद घोषित करने की मांग खारिज
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पहलागाम आतंकी हमले में मारे गए 26 पर्यटकों को शहीद घोषित करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में पहलगाम को “शहीद हिंदू घाटी” घोषित करने की भी मांग की गई थी।

जम्मू-कश्मीर के पहलागाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में मारे गए 26 निर्दोष पर्यटकों को शहीद का दर्जा देने की मांग को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई और कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।
इस हमले में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की भी जान चली गई थी। जनहित याचिका हाईकोर्ट के वकील आयुष आहूजा द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि आतंकवादियों ने इन पर्यटकों को धर्म के आधार पर निशाना बनाया और उन्होंने बहादुरी से उनका सामना किया, इसलिए उन्हें शहीद का दर्जा मिलना चाहिए।
सरकार की ओर से विरोध
केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को यह नहीं मालूम कि भारत सरकार इस मामले में क्या-क्या कदम उठा रही है। उन्होंने कहा, “हम संभावित युद्ध की स्थिति में हैं, ऐसे समय में इस तरह की मांगें उठाना उचित नहीं है।“
कोर्ट की सख्त टिप्पणी
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस सुमित गोयल की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि, “क्या शहीद घोषित करना संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत आता है? इसका कोई उदाहरण दीजिए।” कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह से प्रशासनिक व नीति संबंधी मामला है, और इस पर निर्णय कार्यपालिका द्वारा लिया जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि किसी सैनिक को भी शहीद घोषित करने और पुरस्कार देने में सरकार को कम से कम एक साल का समय लगता है, ऐसे में याचिकाकर्ता को भी धैर्य रखना चाहिए।
‘शहीद हिंदू घाटी’ बनाने की मांग भी शामिल
याचिका में यह भी मांग की गई थी कि पहलागाम को ‘शहीद हिंदू घाटी’ के रूप में घोषित किया जाए ताकि इसे एक स्मरणीय पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सके। लेकिन अदालत ने इस मांग को भी खारिज कर दिया और कहा कि यह नीतिगत निर्णय है जिसे सरकार पर छोड़ देना चाहिए।
🗞️ मुख्य बिंदु:
- 22 अप्रैल को पहलागाम में हुआ था आतंकी हमला
- 26 पर्यटकों की मौत, जिनमें नौसेना के अफसर भी शामिल
- शहीद का दर्जा देने की मांग खारिज
- कोर्ट ने कहा – यह कार्यपालिका का विषय है, न्यायपालिका का नहीं