भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक: बहावलपुर से कोटली तक क्यों बने ये ठिकाने निशाना?
बुधवार तड़के भारत ने समन्वित तरीके से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।
जिन ठिकानों को निशाना बनाया गया, उनमें आतंक के वो अहम केंद्र शामिल हैं, जो लंबे समय से आतंकियों की पनाहगाह बने हुए थे। भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान में जिन नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया है, उनमें बहावलपुर, मुरीदके, चक अमरू, सियालकोट, भीमबेर, गुलपुर, कोटली, बाघ और मुजफ्फराबाद के इलाके शामिल हैं।
इन्हीं नौ इलाकों को क्यों बनाया गया निशाना?
बहावलपुर:
बहावलपुर पाकिस्तान के दक्षिणी पंजाब का इलाका है। भारतीय हमले में बहावलपुर मुख्य निशाना था। दरअसल, बहावलपुर में ही आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय है। भारत में कई आतंकी हमलों में जैश-ए-मोहम्मद की संलिप्तता रही है। साल 2001 में हुए संसद हमले और 2019 के पुलवामा हमले में भी जैश का हाथ था। भारत ने बहावलपुर में जैश के ठिकाने मरकज़ शुभान अल्लाह को निशाना बनाया। इसी मरकज़ में जैश के मुखिया मौलाना मसूद अजहर, मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर और मौलाना अम्मार के घर भी हैं।
मुरीदके:
लाहौर से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित मुरीदके, आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और इसकी शाखा जमात-उद-दावा का केंद्र माना जाता है। मुरीदके में लश्कर का ट्रेनिंग सेंटर है, जो करीब 200 एकड़ में फैला है। भारत में साल 2008 में हुए मुंबई हमले (26/11) में भी लश्कर का हाथ था। हमलावरों को इसी केंद्र पर ट्रेनिंग दी गई थी।
मरकज़ तैयबा, लश्कर का सबसे अहम केंद्र है। इसके अलावा लश्कर के नांगल, सहदान, शेखपुरा में भी ठिकाने हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2000 में मरकज़ तैयबा के निर्माण में आतंकी ओसामा बिन लादेन ने एक करोड़ रुपये की मदद दी थी। मरकज़ में एक मस्जिद और गेस्ट हाउस भी हैं।
अजमल कसाब, डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर हुसैन राणा ने भी मुरीदके का दौरा किया था। हाफिज सईद और जकी उर रहमान लखवी के घर भी मरकज़ तैयबा में ही बताए जाते हैं।
कोटली:
कोटली, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का इलाका है। भारत का दावा है कि यह आत्मघाती हमलावरों और उग्रवादियों का प्रशिक्षण केंद्र है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कोटली में एक बार में 50 से अधिक आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा सकती है।
गुलपुर:
गुलपुर को जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के लॉन्चपैड के रूप में जाना जाता है। खासकर राजौरी और पुंछ में होने वाली घुसपैठ गुलपुर से ही होती है। भारतीय सुरक्षा बलों के काफिलों पर हमलों में इस ठिकाने का इस्तेमाल होता रहा है।
सियालकोट – महमूना कैंप:
सियालकोट में स्थित महमूना कैंप को भी निशाना बनाया गया है। यह हिजबुल मुजाहिदीन का ठिकाना था। हालांकि, हिजबुल अब कमजोर हो चुका है, लेकिन उसका स्थानीय नेटवर्क अभी भी सक्रिय है।
सवाई:
तंगधार सेक्टर में स्थित सवाई, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रमुख कैंप है। साल 2024 में गांदरबल, गुलमर्ग और पहलगाम में हुए आतंकी हमलों की योजना यहीं बनाई गई थी।
सरजाल और बरनाला:
ये दोनों इलाके अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित हैं और आतंकी घुसपैठ के लॉन्चपैड के रूप में इस्तेमाल होते रहे हैं।
